अमर होने की दिशा में मोदी...

पूत के पांव पालने में नजर आए हों या नहीं...परंतु मोदी के अमर होने के आसार स्पष्ट नजर आ रहे हैं...मेरे कुछ लेख पढऩे के बाद मेरे जानने वालों ने कहा कि तुम तो राजनीति में हो...फिर भाजपा या मोदी या शाह के पक्ष में क्यों लिख रहे हो...तब मैंने उनसे कहा कि एक लेखक सिर्फ लेखक होता है...जब वह लिखता है तब न वो कांग्रेसी न भाजपाई होता है...वो जो देखता है, महसूस करता है, वहीं लिखता है...यही सत्य भी है...। जी हां कुछ दिनों से यही अध्ययन हो रहा है कि मोदी जिस शैली से कंट्रोल कर रहे हैं...सारे परिदृश्य  को मजबूर कर दिया है...आबो हवा को भी, कि वे वही प्रदर्शित करें जो हम चाहते हैं...राजनीति में गहरी पैठ का अनुभव होने लगा है...दूर दृष्टि और आत्मविश्वास का संयोजन होने से...योजना का अध्ययन और व्यक्ति की परख ने मोदी को एक मजबूत व पक्का खिलाड़ी बना दिया है। उनके आभा मंडल यूं विकसित हुआ है कि लगता है शेष सभी शक्तियॉं व ताकते इस आभा मंडल के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आई हैं...। लक्ष्य साधकर संधान करना और परिणाम अपने अनुकूल होंगे यह सुनिश्चित करना...आसान नहीं होता है, फिर राजनीति में बिलकुल मुश्किल सा लगता था...परंतु असंभव नहीं...यही कुछ कर दिखाने के उदाहरण मोदीजी के लिए सटिक बैठता है...एक दौर था, जब इंदिराजी ने विपक्ष को खत्म या शून्य कर दिया था...फिर सहानुभूति के कारण राजीव गांधी के समय विपक्ष शून्य सा था...परंतु दोनों ही दौर में विपक्ष में बैठे जितने भी लोग थे...वे वैचारिक रूप से व राजनीतिक रूप से सक्षम थे...बस संख्याबल की कमी कह सकते थे...माननीय मोदीजी ने भी विपक्ष को खत्म सा कर दिया...शून्य कर दिया, परंतु इस दौर का विपक्ष विचारों से व राजनीतिक दृष्टिकोण से सक्षम नहीं लगता है...। हल्कापन और अक्खड़पन नजर आता है...फिर मोदी वाक चातुर्य, बॉडी लैंग्वेज, धैर्य व नजरिये की समझ  तथा विपक्ष की गलतियों की गुगली पर क्लिन बोर्ड करने का जज्बा अतिरिक्त है...यूं लगता है  कि कब कौन सी चाल चली जाना है, इसका पूरा अध्ययन वे करते हैं...अच्छा है बुराई के परिणाम पर भी वे चिंतन-मनन करते हैं...फिर जिसे काम सौंपा है, उस पर पूरा भरोसा करते हैं...। सामने वाला भी परीक्षा में सफल होता ही है...परीक्षा देने वाला भी समझ जाता है कि पीठ पीछे चट्टान की तरह खड़ा है कोई...जो गिरने नहीं देगा...कमी भी होगी तो सार्वजनिक तौर पर लज्जित नहीं करेगा...तब परीक्षा देने वाला आत्मविश्वास से भर जाता है...समय की कसौटी पर हर निर्णय खरा साबित हुआ है...वो स्वच्छता का विषय हो, नोटबंदी हो, पुलवामा हो, विदेशी दौरे हो, चंद्रयान परीक्षण हो, तीन तलाक हो या कश्मीर का विषय...आज मोदीजी ने साबित किया है... उनके जोड़ीदार अमित शाह ने मजबूती से सफलता में सहयोग किया है...और अब यह कह सकते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है... क्योंकि सही कह रहे हैं, मोदी है तो मुमकिन है...मेरा मानना है कि मोदी अमर होने की ओर अग्रसर है सफर अभी लंबा है... पर धीरे-धीरे पांव जमाकर चलने से कछुआ भी खरगोश से जीत गया, तो क्यों न मोदी भी सफलता के इस चरम पर पहुंचकर इतिहास रच रहे हैं...तब कह सकते हैं कि मोदी अमर होने की दिशा में अग्रसर है...।