अरबों के प्रोजेक्टों में करोड़ों का हिस्सेदार रहा हरभजन


इंदौर। निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह ने जैसे ही हनी ट्रेप मामले में अपनी शिकायत पुलिस को दर्ज कराई वैसे ही उनके क्रियाकलाप भी सामने आ गए। जब तक मलाईदार पदो पर रहे तब तक सिंह की अय्याशी जारी रही। जब पद के साथ-साथ पैसे आना भी बंद हुए तो पहुंच गए शिकायत दर्ज कराने। शहर के अरबो के प्रोजेक्ट के प्रमुख रहे सिंह इन्हीं प्रोजेक्ट के सहारे करोड़ो कमाते रहे। वही शहर की बड़ी होटलों, हास्पिटल व क्लबो को भवन अनुमति देने में भी इनकी प्रमुख भूमिका रही है। 



प्रदेश की सियासत व अफसरशाही इन दिनों चर्चाओं में है। निगम के बहुचर्चित इंजीनियर रहे हरभजन सिंह ने जैसे ही विजय नगर थाने में भोपाल की युवतियो के खिलाफ ब्लेकमेलिंग का मामला दर्ज कराया वैसे ही इंदौर से लेकर भोपाल तक हंगामा मच गया। मंत्रियों, विधायकों, अनेक आईएसआईपीएस अधिकारियों तक पर इसकी आंच आ गई, लेकिन हरभजन यह भूल गए कि उनके क्रियाकलाप भी कुछ कम नहीं है। 21 साल से प्रतिनियुक्ति पर जमे हरभजन सिंह ने रीवा नगर निगम से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। 1998 में वे कार्यपालन यंत्री के रूप में इंदौर नगर निगम आए। 13 साल उन्होंने शहर की बिल्डिंग परमिशन की महती जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने उन भवनों को अनुमति दे दी जो आज तक चर्चाओं में है। 
सिंह की अनुमति से तनी होटल, हास्पिटल
हरभजन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर की नामी रेडीसन होटल वेदांता हास्पिटल व शेल्बी हास्पिटल तक को अनुमति दी जहां पर खुलकर अवैध निर्माण भी ताना गया। वहीं शहर की प्रसिद्द बख्तावर रामनगर में भी उन्होंने खूब अवैध इमारतों को अनुमति दी।  वहीं उन्होंने यही पर बने अजीत एण्ड अजय क्लब की भी अनुमति दे दी। जो आज तक चर्चाओं में है। 
100 करोड़ के गरीब आवास बनाने 
की जिम्मेदारी भी कबाड़ी
हरभजन सिंह ने भोपाल में अपने संबंध इन्हीं कार्यकलापों के माध्यम से इतनी मजबूत कर ली थी कि जेएनआरयूएम के तहत बनने वाले 100 करोड़ के गरीबों के लिए आवास की जिम्मेदारी भी ले ली थी जिसमें भी उनके करोड़ों के भ्रष्टाचार की चर्चाएं निगम के गलियारों में गूंजने लगी थी। 
सीवरेज प्रोजेक्ट में भी करोड़ों का खेल
हरभजन यही नहीं रूके उन्होंने शहर के प्रमुख 500 करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट को भी हथिया लिया जिसमें अन्य अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही। शहर में प्राइमरी व सेकण्डरी सीवरेज लाइन डाली जाना थी जिसके टेण्डर में भी सिंह ने बड़ा खेल किया। 
प्रधानमंत्री के आवास की 
योजना भी सिंह के हवाले
1500 करोड़ की लागत से बनने वाले गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना भी सिंह ने अपने आकाओं के माध्यम से कबाड़ ली थी। 682 करोड़ के कामों की शुरुआत भी हो चुकी थी। इसके टेण्डरों में भी सिंह ने बड़े खेल किए थे। तब भी विभाग इन्हीं के हवाले था। यहां के काम भी काफी चर्चाओं में रहे लेकिन अधिकारी इस मामले में भी चुप्पी साधे रहे। 
21 साल में दो बार लुपलाइन 
में, मनीष सिंह ने किया किनारे
21 साल में हरभजन 13 साल मलाईदार विभागों में रहे 2014 में नई परिषद बनते ही कमिश्नर के रूप में मनीष सिंह निगम में आ गए थे। आते ही हरभजन को किनारे कर दिया गया था। कमिश्नर मनीष सिंह हरभजन की हर फितरत व हरकत को जानते थे। इसलिए इनको बिना विभाग के कर दिया था। इतना ही नहीं इनकी सरकारी गाड़ी तक छीन ली गई थी। वहीं वाकीटाकी भी छीन ली थी। बिना विभाग के हरभजन झटपटा रहे थे। कमाई नहीं होने से भी वे बेचेन थे। 2018 में ेव फिर जलकार्य विभाग में अपने भोपाल के सूत्रों से वापस आ गए थे। यहां भी उनकी यही कार्यशैली शुरू हुई थी और यह मामला हो गया।
जब तक रहे मलाईदार
 विभाग में चलती रही अय्याशी
हरभजन जब तक मलाईदार विभागों में रहे तब तक उनकी अय्याशी जारी रही। सूत्र बताते है कि हरभजन इन युवतियों के संपर्क में काफी समय से था और अपना बहुत कुछ खजाना भी इनको दे चुका था लेकिन मलाईदार विभाग छीनते ही जब माली हालत खस्ता हुई तो इनसे दूर बनाई और हनी ट्रेप में आरोपी बनवा दिया।