आचार्य चाणक्य ने हर उम्र, हर वर्ग के लोगों के लिए अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर नीतियां बताईं हैं। जो मनुष्य को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर कारगार साबित होती हैं। युवा किसी भी देश की शक्ति होते हैं। वे अपने जीवन में आगे बढ़ते रहें और कभी अपने मार्ग से नहीं भटकें इसके लिए चाणक्य ने कुछ नीतियां बताईं है जिसमें उन्होंने बताया है कि युवाओं को किन बातों से परहेज करना चाहिए…
– चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि युवाओं को कामवासना से दूर रहना चाहिए। क्योंकि जब युवा इन बातों में उलझ जाता है तो वह अपनी सेहत और अध्ययन पर ध्यान नहीं दे पाता।
– चाणक्य ने क्रोध को इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन कहा है। क्योंकि क्रोध से इंसान की सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। इसलिए क्रोध से युवाओं को परहेज करना चाहिए।
– लालच युवाओं के अध्ययन करने के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक माना गया है। इसलिए किसी भी चीज का लालच करने से बचना चाहिए।
– युवावस्था के छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है। चाणक्य कहते हैं युवा छात्र को स्वादिष्ट भोजन की लालसा छोड़ देनी चाहिए और स्वास्थ्यवर्धक संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए।
– श्रंगार यानी कि फैशन से दूर रहकर युवा विद्यार्थियों को हमेशा सादा जीवनशैली अपनाना चाहिए। साफ सुथरे रहें लेकिन अतिरिक्त साज-सज्जा, श्रृंगार करने वाले युवाओं का मन अध्ययन से भटकता है। अत: चाणक्य अनुसार इनसे दूरी बनाकर रखें।
लालच युवाओं के अध्ययन करने के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक