नई दिल्ली | मोदी सरकार मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कद घटाने जा रही है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने इस संबंध में एक नया प्रस्ताव पेश किया है। सरकार की तरफ से आरटीआई एक्ट में पहले ही संशोधन किया जा चुका है। संशोधित एक्ट के प्रस्तावित मसौदे में मुख्य सुचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के वेतन भत्ते और कार्यकाल में कटौती का प्रस्ताव था।
आरटीआई एक्ट के अनुसार अब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल अब पांच साल का नहीं होगा। इन लोगों का वेतन अभी मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के समान है। इसके अनुसार सीआईसी के सेवा शर्तें जिनमें उनका वेतन और सुविधाएं कैबिनेट सचिव के समान होंगी। यह मुख्य निर्वाचन आयुक्त के वेतन और सुविधाओं से कम है। इसी तरह सूचना आयुक्तों के वेतन और सुविधाएं भारत सरकार के सचिव के समान होंगी। इसका सीधा मतलब है कि सरकार ने इन लोगों का कद यानी टेबल ऑफ प्रिसिडेंस घटा दिया गया है।
टेबल ऑफ प्रिसिडेंस एक प्रोटोकॉल सूची है जिसे गृह मंत्रालय सरकारी अधिकारियों के क्रम और रैंक के आधार पर तैयार करता है। पहले ये लोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त, सीएजी और संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन के समकक्ष थे। मालूम हो कि सरकार ने इस साल जुलाई में आरटीआई एक्ट में संशोधन किया था। इसमें सीआईसी और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल को तय किया गया था। इसके अलावा सेवा की शर्तों में भी बदलाव किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की तरफ से तैयार मसौदा नियम के अनुसार सीआईसी और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 की बजाय अब 3 साल का होगा। एक बार इन नियमों को अंतिम रूप देने के बाद इसके प्रधानमंत्री की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सूत्रों के अनुसार सीआईसी और सूचना आयुक्तों को भारत सरकार के सचिव की रैंक दी जाएगी।
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कद घटाने जा रही सरकार , वेतन भत्ते और कार्यकाल में भी कटौती का प्रस्ताव