दिवाली का वास्तविक अर्थ होता है दीपों की पंक्ति। यानी जब दीयों को एक साथ पंक्तिबद्ध रखकर जलाया जाता है तो इसे दिवाली
कहते हैं। हालांकि वक्त के साथ दीये कम, मोमबत्तियां और बिजली वाले झालर बढ़ गए हैं। यानी अब दीपों वाली दिवाली के बजाए झिलमिल लाइटों वाली दिवाली हो गई है। दिवाली का त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं होता बल्कि इसके आगे और पीछे भी कई त्योहार होते हैं। इन सबको मिला लिया जाए तो 5 दिन की दिवाली होती है। आइए जानते हैं कि कैसे पांच दिन की दिवाली मनाई जाएगी। किस दिन क्या वजह है खुशी की…
25 अक्टूबर - पांच त्योहारों की दीवाली का पहला त्योहार धन की पूजा का होता है। जिस सब धनतेरस के नाम से जानते हैं। हालांकि, हिंदू तिथियों के हिसाब से इनकी तारीखों में परिवर्तन होता रहता है। यह दिन समृद्धि को मनाने के लिए समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से निकली थीं और उनका खास पूजा के साथ स्वागत किया जाता है।
26 अक्टूबर – धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। जिस सभी छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि इस दिन मां काली ने नरकासुर का वध किया था।
27 अक्टूबर - छोटी दिवाली के बाद नंबर आता है बड़ी दीपावली का। जो सबसे मुख्य है। यह अमावस्या को मनाई जाती है। महीने का यह सबसे काला दिन होता है। यह दिन उत्तर और पश्चिम भारत में दिवाली के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शाम को तो देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है।
28 अक्टूबर यह पांच दिन पड़ने वाले त्योहार का चौथा दिन होता है। इस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा होती है। बताया जाता है कि, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।
29 अक्टूबर गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है। यह भाई बहनों का त्योहार है। जो रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है।
पांच दिन की दिवाली, जानिए किस दिन कौन सा है त्योहार