स्वच्छता का लक्ष्य और स्वच्छ भारत का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बंद नहीं होता। हमारे देश में प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है। कूड़े के ढेर में सबसे ज्यादा पॉलिथिन थैलियां ही नजर आती हैं। प्लास्टिक के कचरे को जला कर भी नष्ट नहीं किया जा सकता। इसे जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों का भी होता है। प्लास्टिक का दिन प्रतिदिन बढ़ता प्रयोग लोगों की सेहत पर तो भारी पड़ ही रहा है, साथ ही प्रकृति को दुषित करने और भूमि की उत्पादन क्षमता को भी कम कर रहा है। इससे भी ज्यादा गंभीर बाततो यह है कि आवारा पशु कचरा खा जाते हैं और इस तरह प्लास्टिक उनके पेट में पहुंच जाता है। पॉलिथिन की थैलियां नालों को जाम कर देती हैं और बारिश के पानी को भी जमीन में जाने से रोक देती हैं। धरती के लिए बड़ा संकट है। लोग कचरे के साथ प्लास्टिक तक जला डालते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि इससे जो जहरीला धुआं निकलता है वह जानलेवा बीमारियों को भी जन्म देता है।
प्लास्टिक का खतरा