भुलक्कड़ बना सकता है वायु प्रदूषण


इन दिनों दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों का दम घुट रहा है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर से भी ऊपर पहुंचा चुका है और अस्पतालों में सांस, सिर में दर्द, आंखों में जलन और सर्दी-जुकाम की शिकायत वाले मरीजों की लंबी लाइन लग गई है। स्वास्थ्य जनक ऐसी कठिनाइयां यहीं तक सीमित नहीं हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण न सिर्फ आपके फेफड़ों का बल्कि आपके याददाश्त का भी दम निकाल रहा है। इंग्लैंड के वार्विक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पीएम10 का बढ़ा हुआ स्तर हमारे दिमाग को प्रभावित करता है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ हमारी स्मरणशक्ति दिनों-दिन कमजोर होती चली जाती है।
यह शोध इंग्लैंड के 34,000 लोगों पर किया गया। यह शोध जर्नल 'इकोलॉजिकल इकोनॉमिक्स' में छपा है। शोध के लिए इंग्लैंड की सबसे प्रदूषित हवा वाले इलाके केंसिंग्टन एवं इस्लिंगटन और स्वच्छ हवा के लिए पश्चिमी तट के डेवोन और पश्चिम समरसेट के जिलों का चुनाव किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इंग्लैंड के प्रदूषित इलाकों में रहने वाले लोग अधिक भुलक्कड़ हैं। याददाश्त में कमी और भुलक्कड़ होने के लिए शोधकर्ताओं ने हवा में नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड और पार्टिकुलेट्स (पीएम10) के बढ़ते स्तर को जिम्मेदार ठहराया है और माना कि इसी कारण इन इलाकों में रहने वाले लोगों की स्मरणशक्ति बेहद खराब होती है।
इंग्लैंड में सबसे साफ हवा वाले इलाकों और सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की स्मृति की तुलना कर शोधकर्ताओं ने पाया गया कि अधिक प्रदूषण में सांस लेने वालों की स्मरणशक्ति को नुकसान पहुंचा है। ऐसे लोगों की स्मरणशक्ति उनसे दस साल बड़े लोगों के बराबर थी। यही परिणाम चूहों और अन्य जानवरों पर प्रयोगशाला अनुसंधान में भी पाया गया। लेकिन मनुष्यों में सबसे पहले इसकी पुष्टि करने वालों में प्रोफेसर नटावुध पाउथवी और एंड्रयू ओसवाल्ड हैं।
शोध में शामिल लोगों को शब्द याद करने की परीक्षा के आधार पर जांचा गया। सभी लोगों को दस-दस शब्द याद करने को दिया गया था। शोध में शामिल लोगों के उम्र, स्वास्थ्य, शिक्षा के स्तर और जातिगत आधार का भी ध्यान रखा गया। अध्ययन में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण और खराब स्मृति के बीच गहरा संबंध है। हालांकि शोधकर्ताओं ने माना कि स्मृति धीरे-धीरे बिगड़ती है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इंग्लैंड के सबसे प्रदूषित इलाकों में रहने वाले लोगों की याददाश्त स्वच्छ हवा में रहने वाले समकक्षों की उम्र बढ़ने के 10 अतिरिक्त वर्ष के बराबर है। नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर की अधिकता वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की याददाश्त कम थी।